देश की बात फाउंडेशन’ की स्थापना 10 फरवरी 2018, को कांस्टिट्यूशन क्लब, दिल्ली में श्री गोपाल राय जी द्वारा की गई । जिसका उद्देश्य – “लोगों में देशप्रेम एवं सकारात्मक राष्ट्रवाद की भावना जागृत करना तथा देश में सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक विचार का पुनर्जागरण” है ।
अपने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ‘देश की बात फाउंडेशन’ द्वारा कई स्तरों पर कोशिश की जाती रही है जिसकी शुरुआत दिल्ली की कुल 70 विधानसभाओं में समसामयिक मुद्दों पर हर हफ़्ते होने वाली विचार गोष्ठी से हुई । इसका आयोजन हर शनिवार को सेंट्रल स्तर पर और हर रविवार को विधानसभा स्तर पर किया जाता रहा है । आगे चलकर इस कार्यक्रम को वार्ड स्तर तक ले जाया गया । इसके अलावा ‘देश की बात फाउंडेशन’ द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय के लगभग 50 कॉलेजों में वैचारिक कार्यक्रमों का आयोजन होता रहा है ।
युवाओं में देश प्रेम व सकारात्मक राष्ट्रवाद की भावना जागृत करने तथा उनके नेतृत्त्व क्षमता व व्यक्तित्व विकास के लिए ‘देश की बात फाउंडेशन’ द्वारा अब तक तीन ‘रेजिडेंशियल ट्रेनिंग प्रोग्राम’ का आयोजन किया जा चुका है । पहला- रेजिडेंशियल ट्रेनिंग प्रोग्राम, भीमताल (उत्तराखंड), दूसरा- गंगा इंटरनेशनल स्कूल (दिल्ली) और तीसरा- धनौल्टी (उत्तराखंड) में किया गया । इन तीनों ट्रेनिंग प्रोग्रामों में देश और समाज के विविध महत्त्वपूर्ण विषयों पर जाने-माने विशेषज्ञों के साथ चर्चा-परिचर्चा की गई ।
Even after 70 years of independence, India faces many challenges on the social, political and economic front. Is India ready for these challenges of the 21st century? Does our country need a new thought, new energy and new solutions by focussing on these challenges? And how to work on them? ‘Desh Ki Baat’ is born out of this search for finding answers to all these pressing concerns.
‘Desh Ki Baat’ is a positive effort aimed at finding a solution to the burning issues of our country. Its objective is to mobilise the ideological capacity and energy of the country and implement them for the overall development of our nation. The aim of this forum is to channelise the energy of the country’s intelligentsia towards the progress of all the citizens in this country, by developing a fresh perspective for the present, guiding the youth towards a new kind of thinking, new direction, discovery, ideological rejuvenation and direct their prowess to develop a strong, progressive India.
Nationalism has been a debatable subject in the country for a few years now. Everyone, from a common man, to a politician and the intellectual is trying to explain nationalism from their perspective.. This is being done in such a way that ideological and personal conflicts are getting a chance to grow. This mutual conflict is resulting in the narrowing of the objectives of nationalism, by ignoring the diversity that exists in the Indian culture. From Kashmir to Kanyakumari, there are many languages, dialects, different standards of living and yardsticks of life and to strengthen unity, despite the diversity, by taking everyone along, is the idea behind ‘Desh ki Baat’.
Through this forum, various aspects of nationalism will be discussed and positive thought and emotion will be developed. To view 21st century nationalism from the perspective of the ideological view of the positive, powerful and inclusive nationalism of the Indian freedom struggle, understand it and evoke the same emotions prevalent then, is the aim of the forum.
The second important issue is to discuss India’s current economic situation and create a vision for the challenges that lie ahead and its solutions. The means and methods, and its development to make India economically independent and strong, by channeling the common man’s energies in a positive direction and creating a strong perspective, is the purpose behind this foundation.
The third issue that ‘Desh Ki Baat ‘ considers very important is the foundation of the Indian Constitution and giving shape to those values, principles and goals contained in its Preamble.
The fourth pressing issue is to protect and develop its natural resources. The tendency to consume excessively has put so much burden on nature that the adverse effects it has started reflecting on our everyday life. Discussing these issues and working towards its solution are need of the hour.
These contemporary issues are the burning issues confronting our country today, for which we need to unite to find a solution. Desh Ki Baat is an effort in this direction.
To achieve its goal, ‘Desh Ki Baat’ will do the following:
1. To organize seminars, discussions and conferences on social, economic, political and environmental issues.. To organise cultural programs, to instil the spirit of patriotism and positive nationalism and to expand thinking.
2. To establish a knowledge and research center to generate a scientific temperament.
3. Grant of fellowship to work for the country. initiating projects for education, health, environmental protection, social and national integration and skill development, to help all sections of society progress.
4. By funding think tanks and those working in national interest, to fulfill its goal of overall development of the country.
श्री गोपाल राय जी का जन्म 10 मई, 1975 को ग्राम गोबरडीह (सिपाह इब्राहिमाबाद बाजार के पास), थाना मधुबन, जिला मऊ, उत्तर प्रदेश के एक किसान परिवार में हुआ। आपने अपनी प्राथमिक शिक्षा गाँव के ही एक प्राथमिक विद्यालय से पूरी की। इनकी माध्यमिक शिक्षा किसान लघु माध्यमिक विद्यालय, मुरारपुर और हाई स्कूल, इंटरमीडिएट की शिक्षा तरुण इंटर कॉलेज कुंडा कुचाई से पूरी हुई। आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक किया है और लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर हैं।
सन 1992 में देश के अंदर मंदिर-मस्जिद तथा आरक्षण समर्थन और विरोध के नाम पर शुरू हुए मानवीय कत्लेआम की घटनाओं तथा देश की एकता के विखंडन के हालात ने आपके मन को इतना विचलित कर दिया कि आपने समाज व राष्ट्र की एकता के लिए काम करने का संकल्प ले लिया। इस संकल्प को आगे बढ़ाने के लिए आप ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन के सक्रिय कार्यकर्ता बने संगठन के कार्यों को पूरे प्रदेश में गति देने के लिए स्नातक के पश्चात आप लखनऊ पहुंचे तथा वही लखनऊ विश्वविद्यालय से परास्नातक की शिक्षा ग्रहण की इस दौरान आप संगठन के प्रदेश महासचिव तथा राष्ट्रीय पार्षद चुने गए पूरे प्रदेश में “दंगा नहीं रोजगार चाहिए, जीने का अधिकार चाहिए” आंदोलन तेज हुआ आंदोलन के दौरान आप कई बार जेल भी गए आंदोलन के साथ आपने “छात्र संघ है छात्रों का गुंडों की जागीर नहीं” नारे के आव्हान के साथ विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष के चुनाव में भी हिस्सेदारी की। Read More
आज हम सब लोगों को उन तमाम समस्याओं का हल निकलने की ज़रूरत है जो आज़ादी के इतने सालों बाद भी ज्यों की त्यों हैं, जिनको ख़त्म करने के लिए हमारे पुरखों ने अपनी कुर्बानी दी । रोटी तो हम तब भी खा लेते थे, जब हम गुलाम थे । नींद हमें तब भी आ जाती थी, जब हम गुलाम थे । शादी-ब्याह-रिश्तेदारी तब भी हो जाती थी, जब हम गुलाम थे । लेकिन हमारे पुरखों को यह ग़ुलामी मंजूर नहीं थी । हमारे देश की आज़ादी के लिए लाखों लोगों ने अपनी कुर्बानी दी । अपना सर्वस्व न्यौछावर किया । लोगों ने अपनी पूरी ज़िंदगी खपा दी, अपना सब कुछ त्याग कर दिया । इस देश को आज़ादी इसी त्याग, तपस्या और बलिदान के दम पर मिली है ।
लेकिन आज़ादी के इतने सालों बाद आज भी मजदूरों की ज़िंदगी जानवरों से बदतर हो गई है, किसान का हाल और भी बेहाल हो गया है, छात्रों को अपनी डिग्रियां लेकर भटकना पड़ रहा है तो हमारे मन में प्रश्न पैदा होता है कि आखिर हमने आज़ादी के इतने सालों में क्या किया है ? आज़ादी के इतने सालों बाद भी आज अगर महिलाओं की स्थिति दोयम दर्जे की बनी हुई है तो उससे मुक्ति का रास्ता क्या हो सकता है ?